Posts

Showing posts from September, 2021

उम्र के इस पड़ाव में

 "मुसाफ़िर कल भी था    मुसाफ़िर आज भी हूँ   कल अपनों कीं तलाश में था   आज अपनी तलाश मैं हूँ"! हम उतने संजीदा तो नहीं हुए हैं  कि परिवार के साथ सुबह चाय पियें  और भविष्य की बातें करें.. न ही उतना लड़कपन रह गया है  कि घर से यूँही बेपरवाह निकल जाएं.. 26-30 के शुरूआती सालों में अजीब सी हलचल रहती है.. ना लड़कपन पूरा खत्म ही हुआ होता है.. न बुढ़ापे ने ही दस्तक दी होती है.. और तमाम दुनियादारी समझने के बावजूद हम  दुनिया के सामने मेच्योर भी नहीं दिखना पसंद करते.. समझ ही नहीं आता दुनिया के सामने कौन सा चेहरा रखें.. वजन चूँकि बढ़ चुका होता है..और ईगो मानने को तैयार नहीं होता.. इसलिए अपनी 5 साल पुरानी फोटुएं प्रोफाइल पे लगा के.. असल जिंदगी में बच्चों से अपने लिए "अंकल" सम्बोधन सुनने के बीच.. बैलेंस बनाते हुए इस ट्रांजिशन को अनुभव करते हैं.. कॉलेज में शानदार क्रिकेट खेलते थे.. अब भी कभी जब बल्ला ग्रिप करने को मिलता है तो.. फ्लैशबैक से में चले जाते हो.. आँखों के सामने वो स्कूल का मैदान आ जाता है.. और तुम हवा में उस बल्ले से अपने फेवरेट २, ३ शॉट घुमा ...

विश्वकर्मा पूजा

 विश्वकर्मा पूजा कीं हार्दिक शुभकामनाएँ! अब चलते हैं फ़्लैशबैक...... यानी कीं हमारे बचपन का विश्वकर्मा पूजा के समय.... सुबह-सुबह उठ कर सबसे पहले अपने साइकिल को नल पर लेकर जातें थें और एक घण्टा तक उसके रीग को सरेस पेपर से रगड़ रगड़ कर जंग को छोड़ाते थें । उसके बाद एक चिक शैम्पू से साइकिल के इसपोक से लेकर घंटी तक को चमका देते थें अपने पसीने पसीने हो जातें थें  लेकिन घर के सब लोहा-लक्कङ को पोछ-पाछ के ललका चंदन लगा देते थें  परसादी के लिए पहले से ही बतासा लाकर रखते थे  बतासा चढ़ाकर अगरबत्ती जला देते थें  और परसादी को घुमकर कर बाँट देते थें  हमारे लिए विश्वकर्मा पूजा का ईहे मतलब था । यें सब करने जो ख़ुशी मिलती थी उसका मैं वर्णन नहीं कर सकता हूँ।❤ #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

मोदीजी का जन्मदिन

 न तू गिरा और न तेरे उम्मीदों के मीनार गिरे, पर कुछ लोग तूझे गिराने में कई बार गिरे !! सवाल जहर का नहीं था, वो तो तू पी गया!! तकलीफ लोगों को तब हुई, जब तू जी गया!! कर्मों का रोना रोने से, कभी न कोई जीता है। जो विष धारण कर सकता है, वही अमृत को पीता है।। अपने कार्यों से हमेशा दुनिया को अचंभित कर देने वाले राष्ट्र पुरुष, दृढ़ संकल्प के धनी,जन-जन के दिलों पर राज करने वाले दुनिया के नम्बर वन हमारे आदरणीय नेता माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास  मोदी जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐  आप दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें, यश-कीर्ति प्राप्त हो इस प्रकार की प्रार्थना पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी से करता हूँ । #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

मोदीजी का जन्मदिन

 न तू गिरा और न तेरे उम्मीदों के मीनार गिरे, पर कुछ लोग तूझे गिराने में कई बार गिरे !! सवाल जहर का नहीं था, वो तो तू पी गया!! तकलीफ लोगों को तब हुई, जब तू जी गया!! कर्मों का रोना रोने से, कभी न कोई जीता है। जो विष धारण कर सकता है, वही अमृत को पीता है।। अपने कार्यों से हमेशा दुनिया को अचंभित कर देने वाले राष्ट्र पुरुष, दृढ़ संकल्प के धनी,जन-जन के दिलों पर राज करने वाले दुनिया के नम्बर वन हमारे आदरणीय नेता माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास  मोदी जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐  आप दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें, यश-कीर्ति प्राप्त हो इस प्रकार की प्रार्थना पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी से करता हूँ । #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

ख़ाब के एक शाम

 नदानगी झलकती हैं मेरे आदतों से, मैं खुद हैरान हूँ मुझे इश्क़ कैसें हुया....  ख़ाब में एक शाम....❤ एक ख़ाब आया है। ख़ाब में शाम है, मैं हूँ, तुम हो और बैक ग्राउंड में अपने-अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त ढेर सारे लोग! ये ढेर सारे लोग इतने सारे हैं कि इनकी गिनती करने में मेरे ख़ाब वाली तमाम शामें गुज़र जाएं। मैं बाकी शामों के गुजरने को लेकर ज़रा भी फिक्रमंद नहीं हूँ पर मेरे ख़ाब वाली इस शाम का एक लम्हा भी मैं किसी और पर ज़ाया होते नहीं देख सकता। मेरे इस शाम को तो मैं सिर्फ तुम्हारी उठती-गिरती पलकों को निहारने में खर्चना चाहता हूँ, तुम्हारी ज़ुल्फ़ में फंसी बूंदों को चुनने में खर्चना चाहता हूँ, तुम्हारे माथे की एक-एक सिकन मिटाने में खर्चना चाहता हूँ, तुम्हारे लबों पर बनती धारियों को गिनने में खर्चना चाहता हूँ।  इसलिए मैंने नहीं देखा कि उस शाम इतने सारे लोग बैकग्राउंड में क्या कर रहे थे? मैंने नहीं सोचा कि क्या ये लोग भी अपने ख़ाबों में हमें देख रहे होंगे? अगर देख भी रहे होंगे तो क्या हम इनके ख़ाबों के मुख्य किरदार होंगे? शायद नहीं! सभी अपने ख़ाबों के ही मुख्य किरदार हो सकते हैं शायद!...

_मोदी ने देश बेच दिया

 हाय राम ! इस मोदी ने देश बेच डाला..  पिछले 7 वर्षा से राहुल गांधी के नेतृत्व वाले  विपक्ष और रविशकुमार के नेतृत्व वाले मीडियाई गिरोह का यह विधवा विलाप लगातार सुन रहा हूं कि मोदी देश बेचे डाल रहा है, मोदी देश को बरबाद किए दे रहा है, मोदी ने देश तबाह कर दिया है। उपरोक्त विधवा विलाप के संदर्भ में एक तथ्य से आज सामना हो गया। वह तथ्य यह है कि  👉 आज देश में 1728 किमी लंबा एक्सप्रेसवे है जबकि आजादी के बाद से 2014 तक के 67 वर्ष के दौरान देश में केवल 900 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे ही बने थे। जबकि पिछले 5 वर्ष में 828 किमी लंबे एक्सप्रेसवे बन चुके हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश को तबाह बरबाद किए जाने की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। यह तो शुरुआत भर है। इसी से जुड़ा तथ्य यह भी है कि  👉 10420 किमी लंबे एक्सप्रेसवे बनाने का काम तेजी से चल रहा है। 2023 से पहले यह एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हो जाएंगे।   👉 एक अन्य तथ्य यह भी है कि उपरोक्त के अलावा  लगभग 11863 किमी लंबे एक्सप्रेसवे निर्माण के टेंडर निकाले जा चुके हैं, भूमि अधिग्रहण का लगभग 70% कार्य हो चुका ...

भोजपुरी का अपमान

 झारखंड के मुख्यमंत्री ने भूत ही शर्मनाक बयान दिया है। झारखंड के अलग राज्य बन जाने के बाद भी बिहारियों और झारखंडियों के बीच का रिश्ता नहीं टूटा। बिहारियों ने कभी भी झारखंड और बिहार को दो नजरों से नहीं देखा मगर झारखंड के मुख्यमंत्री ने बहुत ही शर्मनाक बयान दिया है।  सोरेन ने एक मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘भोजपुरी और मगही बिहार की भाषा है, झारखंड की नहीं. झारखंड का बिहारीकरण क्‍यों किया जाए? महिलाओं की इज्‍जत लूटकर भोजपुरी भाषा में गाली दी जाती है. आदिवासी और क्षेत्रीय भाषाओं के दम पर जंग लड़ी गई थी, भोजपुरी और मगही भाषा की बदौलत नहीं. झारखंड आंदोलन क्षेत्रीय भाषा के दम पर लड़ा गया था.’ उन्‍होंने कहा कि आदिवासियों ने झारखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई क्षेत्रीय भाषाओं के दम पर लड़ी है न कि भोजपुरी और हिंदी भाषा की बदौलत. वह किसी भी हालत में झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे. उन्होंने यह भी कहा, ‘झारखंड आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की छाती पर पैर रखकर, महिलाओं की इज्जत लूटते वक्त भोजपुरी भाषा में ही गाली दी जाती थी.’ समाज को बाटने वाली ऐसी तथ्यहीन बात करने वाली...

माता-पिता

 माता पिता का एक छोटा सा पैगाम :- बेटे के नाम 1. जिस दिन तुम हमे बूढ़ा देखो तब सब्र करना और हमे समझने की कोशिश करना. 2. जब हम कोई बात भूल जाए तो हम पर गुस्सा ना करना और अपना बचपन याद करना.... 3. जब हम बूढ़े होकर चल ना पाए तो हमारा सहारा बनना और अपना पहला कदम याद करना. 4. जब हम बीमार हो जाए तो वो दिन याद करके हम पर अपने पैसे खर्च करना जब हम तुम्हारी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए अपनी ख्वाहिशे कुर्बान करते थे. 5. जब हमारे आँखों मे आँसू देखना तो वह दिन याद करना , जब तुम रोते थे , तो सीने से लगाकर चुप कराते थे । 6. जब हम ठंड से ठिठुर रहें हो तो , और गुहार लगा रहें हों , तो बिना कोई देर किये हमारे ऊपर रजाई और कम्बल डालना । वह दिन याद करना जब ठंड के दिनों मे पैरों से रजाई नीचे गिरा देते थे और ठंड लगने पर रोते थे , तो अपने कलेजे लगाकर फिर रजाई ओढाते थे। #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

सरकारी नौकरी

 संविदा  बाले मित्र न कुदें  ___________________ विश्व बैंक ने ‘वैश्विक परिदृश्य में सरकारी वेतन’ नाम से अध्ययन किया. इसके अनुसार वियतनाम में देश के नागरिक की औसत आय की तुलना में सरकारी कर्मी का औसत वेतन 90 प्रतिशत होता है. यदि वियतनाम के नागरिक की औसत आय 100 रुपए है तो सरकारी कर्मियों का औसत वेतन 90 रुपए है. चीन में यदि नागरिक का औसत वेतन 100 रुपए है तो सरकारी कर्मी का औसत वेतन 110 रुपए बैठता है. लेकिन भारत में यदि नागरिक का औसत वेतन 100 रुपए है तो सरकारी कर्मी का औसत वेतन 700 रुपए है. यह बात विश्व बैंक की रपट बताती है.  गौर करने की बात यह है कि वियतनाम और चीन दोनों ही हमसे बहुत अधिक तीव्रता से आर्थिक विकास हासिल कर रहे हैं. इससे संकेत मिलता है कि भारत की आर्थिक विकास दर के न्यून होने के पीछे एक कारण यह हो सकता है कि भारत की ‘राष्ट्रीय आय’ का उपयोग सरकारी कर्मियों की ‘खपत’ को पोषित करने में खप जा रहा है जिससे जन कल्याण और आर्थिक विकास दोनों पीछे होते जा रहे हैं. #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

घर से दूर रहने वाले लङके

 घर से दूर रहने वाले लङके....❤ बङा घर होते हुए भी रूम लेकर रहने वाले सिंगल लड़के भरा पूरा परिवार होते हुए भी अकेले रहने वाले लड़के बात बात पर गाली गलौच करने वाले बदतमीज लड़के लेकिन महिलाओ के सम्मान में कुछ भी कर देने वाले पागल से लड़के घर पर चार टाईप के सब्जी खाने वाले लङके  बस दाल भात खाकर ही जिंदगी काट देने वाले मासूम से लड़के लेकिन चरित्र पर कोइ दाग ना लग जाये इसलिए बरतन कपड़ो तक के दाग छुड़ाने वाले शरीफ से लड़के अपनी भावनाए नही जताने वाले पत्थर से होते हैं ये लड़के  पर जरा सा सहारा मिलते ही टूट कर बिखर जाने वाले भावुक लड़के कमला पसंद मुंह में भरकर हुंह हुंह करके बतियाने वाले आवारा से लड़के पर दिन में चार बार दिदू दवायी ली पूछने वाले प्यारे से लड़के खेलते नही किसी की भावनाओ से जज्बाती से ये लड़के और अपनी हर पीर बखूबी छिपा लें कितने बहादुर होते हैं ये लड़के छल के इस दौर में अपनी मासूमियत बचा के रखने वाले मासूम से लड़के और हर कीमत पर जो बचाना चाहते हैं अपने रिश्ते को इतने कमजोर होते हैं लड़के #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

देवी-देवताओं का अपमान

 कायरता हमारी नसों में घर बना चुकी है, हम धर्मनिरपेक्षता का चादर ओढ़ने के चक्कर में चुप चाप मुँह दर्शक बन कर रह जाते हैं और कोई भी उठ कर हमारे देवी देवताओं के साथ कुछ भी कर देता है और बोल देता हैं। हिंदू आज मंदिर में बंधे घंटे की तरह बन गया है जिसे जो चाहे वह बजा कर चला जाता है सरकारे पुलिस कानून व्यवस्था सब खामोश रहती हैं मध्यप्रदेश के महू में गणेश जी के हाथ मे सेनेटरी पेड़ रखने वाले Anivarya NGO के संस्थापक अंकित बागड़ी ने कहा कि गणेश चतुर्थी के माध्यम से ‘मासिक धर्म’ को लेकर जागरूकता फैलाई जाए... इसलिए इन्होने भगवान् के हाथों में सेनेटरी पैड थमा दिए और दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि को भी विराजित कर दिया...  यह कैसी धार्मिक स्वतंत्रता है कि इस तरह से विकृत किया जा रहा है ?  और तुम लोगों को कौन अधिकार दिया है हमारे भगवान के साथ ऐसा करने का ?? अगर अंकित बागड़ी को समाज को संदेश और ज्यादा सही से देना था तो अपनी माँ, बहन, पत्नी और बेटी को चौराहे पर सेनेटरी पैड के पहना कर खड़ा कर देता लोगो के स्मृति पटल पर हमेशा छपा रहता  । ये जागरूकता फैलाने का नहीं इसकी विकृत मानसिकता को दर्शा र...

हमारी संस्कृति

 भारतीय संस्कृति : दो पक्ष - कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष। तीन ऋण - देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण। चार युग - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग। चार धाम - द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम धाम। चारपीठ - शारदा पीठ, ज्योतिष पीठ, गोवर्धन पीठ, शृंगेरीपीठ। चार वेद - ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद, सामवेद। चार आश्रम - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास। चार अंतःकरण - मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार। पञ्च गव्य - गाय का घी, दूध, दही, गोमूत्र, गोबर। पञ्च देव - गणेश, विष्णु, शिव, देवी, सूर्य। पंच तत्त्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश। छह दर्शन - वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा, दक्षिण मिसांसा। सप्त ऋषि - विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप। सप्त पुरी - अयोध्या पुरी, मथुरा पुरी, माया पुरी (हरिद्वार),काशी, कांची (शिन कांची - विष्णु कांची ), अवंतिका और द्वारिका पुरी। आठ योग - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समािध। आठ लक्ष्मी - आग्घ, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग, एवं योग लक्ष्मी। सनातन_संस्कृति ⛳ हर_हर_महादेव 🙏⛳ #संदीप_यदुवंशी https:/...

मंदिर _में दान

 पिछले साल का पोस्ट....... मन्दिर......   में भगवान के सामने पैसे फेकना गलत हैं.....!! अक्सर हमने बहुत बार देखा हैं कि लोग मन्दिर में अपनी जेब से एक,दो,पाँच या दस का सिक्का या कितने का भी नोट  निकालकर भगवान के सामने फेकते हैं फिर हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं और मनोकामना भगवान से माँगते हैं । कैसी मूर्खता है,यह लोगों कीं.......! कोई आपके सामने पैसे फेककर चला जायें तो क्या आपको अच्छा लगेगा ???.....नहीं लगेगा,  आप उस व्यक्ति को बुलाकर कहोगे....  भिखारी समझा हैं क्या??? तो सोचिए भगवान को कैसी फीलिंग आती होगी जब कोई उनके सामने पैसे फेकता हैं ??? अब कोई कहे कि भैया पत्थर कि मूर्ति में कैसी फीलिंग..... तो  उसका मन्दिर जाना बेकार हैं....।। लोग 10 रूपये चढाकर 10 करोड़ कि कामना करते हैं । भगवान के सामने शर्त रखते हैं कि हें भगवान !  मेरे बेटे कि नौकरी लगा दे मैं मंदिर में भंडारा करवाऊंगा । मेरा यें संकट टाल दो, मैं  इतने रूपये दान करूंगा । पहले कुछ नहीं करेंगे काम होंने के बाद हीं करेंगे । हें भगवान ! मेरे ये काम हो जाये मैं आपको मानना शूरू कर दूँगा । क्...

युवा साथियों पर हावी होता बॉलिवुड

 युवा साथियों पर किस कदर हावी है बॉलिवुड  कल कीं बात मैं बताना चाहता हूँ कि मेरे वट्सअप पर 350 के लमसम लोग सम्पर्क में हैं।  आप विश्वास नहीं करेंगे कीं उसमें से 90% लोगों ने कल एक बॉलिवुड के किसी के मृत्यु पर स्टेटस लगाकर श्रद्धांजलि दे रहें थें।  क्यों भाई तुम्हारे घर में या खानदान में किसी कीं मृत्यु होने पर 10 दिन बिनां हल्दी और तेल खाने में नानी याद आने लगतीं हैं और बाल काटवाने में शर्म लगता है हाइटेक के झा... बन जाओगे और बॉलीवुड के कौनो मरता हैं तो अपने घरवा में काहे मातम मानते हो बे हर दिन तुम्हारे शहर में कोई न कोई मरता है उसके लिए कितना दुखी होते हो बे अगर तुम्हारे शहर में कोई मरता है तों तुम्हारे पास समय हीं नहीं रहता है देखने जानें के लिए क्यों उस समय तुम्हारी संवेदना कहाँ मर जातीं हैं  नचनिहा बजनीहा को देखकर तुम्हारी संवेदना जाग जातीं हैं क्यों बे हाइटेक बनने के लिए अपने बाप दादा के संस्कारो को घोर कर पी गयें हो क्या??? बे  जो हमारे पीढ़ियों को अश्लीलता नग्गता सीखा रहे है इनको आज मीडिया और हम अपना हीरो बना रखे हैं  इनको अपना आदर्श बनाकर क्या...

हमारे नायक

 अपना नायक राम में कृष्ण में देखने का एक बार अभ्यास डाल लें , जीवन में कभी नायक बदलने की इच्छा ही नहीं जगेगी ।  मैत्रेयी विदुला गार्गी कुंती द्रौपदी में आदर्श ढूँढ़ लें या लक्ष्मीबाई दुर्गावती अहिल्याबाई होल्कर पद्मिनी इत्यादि में भी तो कभी भी आप लाल बिंदी फ़ेमिनिस्टों के झाँसे में नहीं आएँगीं ।  एक बार समर्थनात्मक बुद्धि से रामकथा और भागवत का श्रवण कर लें , जीवन में कभी भटकन का अनुभव फिर नहीं होगा । सत्तर वर्ष लगे हैं बॉलीवुड के मायाजाल से निकलने में और आप स्वंयम अनुभव करिए की “ क क क किरन जैसे हकलो “ से मुक्त होकर कितना सुखद जीवन हो चुका है ।  अब सोशल मीडिया पर कोई दही हांडी पर ज्ञान देने नहीं आता क्योंकि बचपन में ही “ टीम वर्क “ का इससे अच्छा उदाहरण हो ही नहीं सकता । जय श्री कृष्ण⛳🙏 #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1 sk4635686instagram

गाय हो राष्ट्रिय पशु

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय काटने के आरोपी एक मुस्लिम युवक जावेद को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि इससे हिंदुओं की आस्था को चोट लगती है। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। गोरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार के रूप में रखा जाना चाहिए, क्योंकि हम जानते हैं कि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था को चोट लगती है, तो देश कमजोर हो जाता है। न्यायमूर्ति शेखर यादव की खंडपीठ ने जावेद को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि आवेदक ने गाय की चोरी करने के बाद उसे मार डाला। उसका सिर काट दिया और उसका मांस भी उसके पास रखा था। न्यायालय ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी कीं: 1. मौलिक अधिकार केवल बीफ खाने वालों का ही नहीं है, बल्कि जो गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गायों पर निर्भर हैं, उन्हें भी सार्थक जीवन जीने का अधिकार है।  2. जीवन का अधिकार मारने के अधिकार से ऊपर है और गोमांस खाने के अधिकार को कभी भी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता।  3. गाय बूढ़ी और बीमार होने पर भी उपयोगी होती है। उसका गोबर और मूत्र कृषि भूमि का खाद और दवा बनाने के...

तुम हो तों जेठ भी सावन है

 अभी कुछ दिनों पहले मै स्टेशन पर गया ट्रेन पकड़ने के लिए मेरे ट्रेन का समय 12:30 बजे (दोपहर) था चुकी मैं समय से एक घण्टे पहले हीं पहुंच गया था इतफाक से बहुत बारिश हो रही थीं और अंधेरे जैसा माहौल हो गया था मैं भी एक खाली  स्थान देकर बैठ गया और अपना मोबाइल निकलकर और ईअर फोन लगा कर सोंग सुनने लगा  इतनें में एक लङका और लङकी को आते देखा जो बहुत ही खुबसूरत थे और देख कर लगा कि भगवान नें इन दोनों को एक दुसरे के लिए ही बनाया है कसम से उनको देखकर मैं कुछ सेकंड  देखते रह गया और  मेरे कॉलेजों के दिनों कीं याद आ गयी  वहीं बारिश और वो  इतफाक से दोनों ठीक मेरे बगल में आ कर बैठ गये अब मैंने अपने ईयर फोन का साउंड थोङा स्लो किया और अपने तिरछी नजर से देखने लगा दोनों आपस में बातें करने लगें कसम से उनकी बातों सुनने और देखने में बहुत हीं अच्छा लगने लगा  12बजे (दोपहर) हीं अंधेरा हो चला था बारिश के बाद वालीं ठंडी हवा से दोनों कांपने लगें थें अचानक लङकी ने आसमान कीं तरफ़ देखा और पूंछने लगीं " जानते हो?? "क्या"?? लङके ने पूछा । "यही कीं तुम सावन नहीं जानते, न ही जानते हो ज...

नींद रूठी पङी हैं।

 दिन बीत जाता मजदूरों की तरह जैसे तैसे लेकिन रातों में जाने क्यों नींद नही आती। लगते हैं ख्यालों में डूबने तैरने खरीदने बेचने प्रोपर्टी बनाने देर रात फ़ोन चला कर एक तरफ रख देते हैं फिर दूसरी तरफ अँधेरे में झाँक कर सोचना ज़िन्दगी के बारे में, अपने बारे में, रिश्तों के बारे में,अपना नया घर लेना है उसके बारे में या गुजरे वक़्त और गुजर रहे वक़्त और आने वाले वक्त के बारे में। कितना अजीब है सब। चलता ही जा रहा है अनवरत बिना किसी विराम के। किसी बड़े दुःख के आने के बाद उससे कम दुःख का आना भी तसल्ली दे जाता है कि चलो कुछ बड़ा नहीं हुआ। खुशी आती है पर बारिश के हल्के झल्ले सी होकर कब गुजर जाती है, पता भी नहीं चलता। खुशी की वो मूसलाधार बारिश जिसका सबको हमेशा इंतज़ार है, जिसके लिए हमारी लगातार मेहनत है। वो होगी भी या नहीं। इस अँधेरे में यही बैठा सोच रहा हूँ और ताक रहा हूँ कि यही कहीं से फूट पड़े। वो किसान जो बारिश की आस में आसमान ताकता है ना, ठीक वैसे ही मैं अँधेरा ताका करता हूँ। शायद अगली सुबह कुछ नया ले आयेगी। कुछ बेहतर पर वो चौराहे पर बैठी अम्मा रोज वहीं मिलती हैं। रास्ते में काम पर जाते वक़्...

युवा साथियों का समाजवाद

 समाजवादीयों का आज कल एक अलग तरह का सुख लेन देन का कार्यक्रम चल रहा है,भाई लोग  इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यक्रम के स्थान पर AC न लगें होने के लिए भाजपा को दोष दे रहे हैं और किसी विकलांग व्यक्ति को (लगङा) जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं।  मुझे कभी कभी लगता है कि यह इनसान आस्ट्रेलिया पढने गया था या डिग्री चोरी कर के लाने गया था।  अब बात करते हैं असली मुद्दे पर.... लखनऊ से लेकर बलिया तक आज कल समाजवादीयों के कार्यक्रम चल रहा है अंबिका चौधरी के घर वाससी का  घर वाससी इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि यहीं अखिलेश यादव ने इनको एक बार लात मारकर पार्टी से निकल दिया था लेकिन राजनीति में आना और जाना कोई बङी बात नहीं है खैर ऐसे नेताओं के पार्टी के विचार धारा और पार्टी कोई माईने नहीं रहता है क्यों इनको अपने पद और रूतबे से मतलब रहता है। ऐसे ही नेताओं में आते हैं अंबिका चौधरी  यही अंबिका चौधरी है जो कुछ दिनों पहले अपने लङके को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जितने के बाद चार छात्र नेताओ को पहचानने से इनकार कर दिया था बेचारे छात्र नेताओ ने इनके लङके को जितवाने के लिए दिन रात लङके के पी...

शिक्षक दिवस के नाम पर नौटंकी

 Dude or Bro टाईप के छात्र-छात्रों ने शिक्षक दिवस के नाम पर फेसबुक,वट्सअप और इंस्टाग्राम पर दम भर पोस्ट और डीपी लगाकर खुब नौटंकी किया नौटंकी इसलिए बोल रहा हूँ कीं 70%लोगों को तों शिक्षक दिवस किस लिए मनाया जाता हैं पूछ दो तो गूगल करना चालु कर देंगे बीज गणित का एक प्रश्न पूछ तो नानी याद आने लगतीं हैं  गणित के पिता कौन हैं?? पूछों तों दाँत दिखाना चालू कर देते हैं   शिक्षक का अर्थ क्या होता है इन लोगो को मालूम नहीं होंगा  बॉलीवुड के फिल्मो से दो चार अंग्रेजी अक्षर सुन कर बोलने को अपने आप को  विलियम शेक्सपीयर मत समझों बे  हिंदी का तो तुम को "ह" भी नहीं मालूम है  शिक्षक दिवस के नाम पर अश्लील नाच गाने पूदीना,लहसुन और लौडा नाच कर के तुम लोगों साबित क्या ?? करना चाहते हो बे ?? संविधान ने तुम को मौलिक अधिकार दिया इसका मतलब तुम लोग कुछ भी करोगें  क्या?? साला हमलोगों के समय गुरु जी लोग हमलोगों को गाने गाते सुन लेते थें तो मार-मार के लमङा देते थे और अगर घर वालों को जानकारी मिल गयीं कैसे भी तो माई के लबीदा से पीठ टूट जाता था । और आधुनिक युग के माता पिता को...

शिक्षक दिवस

 शिक्षक अगर हो सांदीपनी तो बच्चे कृष्ण बन जाते हैं। वशिष्ठ जैसी शिक्षक ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाते हैं।। शिक्षक ईश्वर से बढ़कर है यह कबीर बतलाते हैं। क्योंकि शिक्षक ही शिष्यों को ईश्वर से मिलवाते हैं।।          #शिक्षक_दिवस_की_हार्दिक_शुभकामनाएँ  #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

युवा साथियों पर किस कदर हावी है बॉलिवुड

युवा साथियों पर किस कदर हावी है बॉलिवुड  कल कीं बात मैं बताना चाहता हूँ कि मेरे वट्सअप पर 350 के लमसम लोग सम्पर्क में हैं।  आप विश्वास नहीं करेंगे कीं उसमें से 90% लोगों ने कल एक बॉलिवुड के किसी के मृत्यु पर स्टेटस लगाकर श्रद्धांजलि दे रहें थें।  क्यों भाई तुम्हारे घर में या खानदान में किसी कीं मृत्यु होने पर 10 दिन बिनां हल्दी और तेल खाने में नानी याद आने लगतीं हैं और बाल काटवाने में शर्म लगता है हाइटेक के झा... बन जाओगे और बॉलीवुड के कौनो मरता हैं तो अपने घरवा में काहे मातम मानते हो बे हर दिन तुम्हारे शहर में कोई न कोई मरता है उसके लिए कितना दुखी होते हो बे अगर तुम्हारे शहर में कोई मरता है तों तुम्हारे पास समय हीं नहीं रहता है देखने जानें के लिए क्यों उस समय तुम्हारी संवेदना कहाँ मर जातीं हैं  नचनिहा बजनीहा को देखकर तुम्हारी संवेदना जाग जातीं हैं क्यों बे हाइटेक बनने के लिए अपने बाप दादा के संस्कारो को घोर कर पी गयें हो क्या??? बे  जो हमारे पीढ़ियों को अश्लीलता नग्गता सीखा रहे है इनको आज मीडिया और हम अपना हीरो बना रखे हैं  इनको अपना आदर्श बनाकर क्या मिलेग...

हनुमान चालीसा का अर्थ

 हनुमान चालीसा जीवन का प्रबंधन सूत्र है- हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं, जो मात्र चौपाइयां नहीं है पूरा जीवन क्रम है, जो हर युग में मनुष्य का मार्गदर्शन करती हैं. गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस लिखने के पहले हनुमान चालीसा लिखी थी।हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम के आराधना की शुरुआत की। हनुमान चालीसा आपको दिशा देती है, अगर आप प्रत्येक चौपाई में छिपे सूत्र और अर्थ को समझ लें तो जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकतें हैं। हनुमान चालीसा में शुरु से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु वंदना से हुई है… श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। अर्थ - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं। गुरु का महत्व चालीसा के पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु यानी मार्ग दर्शक, हमारे श्रेष्ठ ही हमें सही रास्ता दिखा सकते हैं। इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करें!! आज के दौर में भी गुरु हमारा पथप्रदर्शक Iहै। वैसे भी जीवन के पहले गुरू माता-पिता होतें हैं. पराक्रमी होने के लिए बुरे विचारों से ...

बॉलीवुड की गंदगी

 अक्सर लोग बोलते है तुम्हे क्या प्रॉब्लम है बॉलीवुड से..जो खटास करते हो...! तो भाई हमे बॉलीवुड से कोई परेशानी नही है , हमे परेशानी है बॉलीवुड द्वारा फैलाई जा रही गंदगी से , बॉलीवुड द्वारा फैलाई जा रही अश्लीलता से , बॉलीवुड द्वारा सिखाये जाने वाले अपराध के तरीको से , बॉलीवुड द्वारा युवाओं को नशे के प्रति आर्कषक करने के तरीकों से... ऐसा कोई नशेली पर्दाथ , शराब , गुटका नही है जिसका प्रचार ये बॉलीवुड वाले ना करते हो , युवा पीढ़ी और समाज पर इसका क्या असर पड़ रहा है इसका पता होने के बाद भी आंखे बंद है लोगो की ,  ऐसे ऐसे अपराध के तरीके और फिर अपराध करने के बाद बचना कैसे है ये बॉलीवुड वाले आसानी से सीखा देता है..! फिल्मों के नाम पर जो अश्लीलता फैलाई जा रही है , कितनी फैल चुकी ये दिख नही रही जिन्हें तुम लिजेंड बोलते हो...........देश मे अश्लीलता , अपराध और युवाओं में नशे की जो लत बढ़ती जा रही है वो किसकी देन है ??? वास्तव में सोचने की जरूरत है किस और जा रहे है....आज अगर ऐसे हालात है तो आने वाला समय कैसा होगा , जब सनीलियोन जैसे लोग देश मे आकर लिजेंड की उपाधि ले ले और युवाओं की प्रेणास्त्रोत...

हिन्दुत्व

 पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे तो . . . बच्चे की नाभि कौन काटता था मतलब पिता से भी पहले कौन सी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी ? आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था ? शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी। लड़की का पिता लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था। वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं । भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? किसने आपके कपड़े धोये? डोली अपने कंधे पर कौन मीलो मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी की आपकी बिटिया को छू भी दे। किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी ? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था? कौन फसल लाता था? कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . . और कहते है की छुआछूत था ?? यह छुआ छूत की बीमारी मुस्लिमों और अंग्रेजों ने हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।  जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई  उल्लेख नहीं करता।  अगर जातिवाद होता तो...

निजीकरण

 देश में जहाँ आज कल निजीकरण पर बहस चल रहा है तो मेरे साथ एक घटना हुयीं थी जिसका जिक्र मैं कर रहा हूँ  (2017-2018) मै कल्याण स्थित FEDERAL BANK  गया रहा सवा ग्यारह बजे गेट ओपन करते ही मिल गए एक भाई साहब.. मैंने पूछा अकाउंट ओपन करना है। वो बोले पैन कार्ड और आधार है ?? मैंने बोला हां है। बोला ठीक है लाइये... देते ही बोला अंदर आइए।  एक मैडम के पास ले गयें और मैडम ने  बिठा के 10 मिनट न हुआ होगा कि सब धड़ धड़ मोबाइल में फीड कर दिया। फिर पूछा कि आप के पास अपने घर के कागज़ है मतलब आप जहाँ भाङा पर रहते हैं। मैंने बोला हाँ .. लेकिन ज़िरौक्स कौपी है घर का  ठीक है चलेगा 'इधर का काम सब हो गया ???' 'हाँ सर हो गया!  कुछे एक जगह साइन किया और एटीएम,पिन,पासबुक सब हाथ में। मै बङा अचंभित सा था ! खैर मैं रूमवापिस अपने  आ गया.. मने इस प्रोसेस में ऑटो ट्रेवलिंग टाइम भी पकड़े तो करीब ढाई घंटे में सब खलास। वहीं एक जमाने में एसबीआई में अकाउंट खुलवा रहा था मैं... उसका वर्णन नहीं कर पाऊंगा मैं। वो अकाउंट भी डेड पड़ा हुआ है। #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

रिश्तों का नया अर्थ खोज चूका है आज कल के नौजवानों ने

 राखी के दिन कीं एक पोस्ट..... राहुल के पिता जी का देहांत हो गया था घर में एक माँ और एक छोटी बहन थीं लेकिन अचानक उसके बहन की तबियत खराब हो जाती हैं...  राहुल कीं बहन बीमार पड़ गयी उसने  आनन-फानन में नज़दीक के अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अस्पताल पहुँचते ही राहुल ने अस्पताल के बेड पर उनकी फोटो खींची और फेसबुक पर Sister ill admitted to hospital स्टेटस के साथ अपलोड कर दी। फेसबुकिया यारों ने भी ‘Like’ मार-मार कर अपनी ‘ड्यूटी’ पूरी कर दी। राहुल भी अपने मोबाइल पर बहन की हालत ‘Update’ करता रहा। बहन व्याकुल आँखों से अपने ‘व्यस्त’ भाई  से बात करने को तरसते रही…! आज राहुल ने देखा कि बहन की हालत कुछ ज्यादा ख़राब है….! पुराना वक्त होता तो…बहन भागती हुयीं  डाक्टर को गुहार लगाती… …पर…उसने झट से ‘बदहवास’ बहन की एक-दो फोटो और खींच कर… ‘Condition critical’ के स्टेटस के  साथ अपलोड कर दी…फेसबुकिया यारों ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा दी। दो-चार घनिष्ठ मित्रों ने बेहद मार्मिक कमेंट कर अपने संवेदनशील होने का प्रमाण दिया। ‘वाह! इनकी आँख का आँसू भी...