भोजपुरी का अपमान

 झारखंड के मुख्यमंत्री ने भूत ही शर्मनाक बयान दिया है। झारखंड के अलग राज्य बन जाने के बाद भी बिहारियों और झारखंडियों के बीच का रिश्ता नहीं टूटा। बिहारियों ने कभी भी झारखंड और बिहार को दो नजरों से नहीं देखा मगर झारखंड के मुख्यमंत्री ने बहुत ही शर्मनाक बयान दिया है। 


सोरेन ने एक मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘भोजपुरी और मगही बिहार की भाषा है, झारखंड की नहीं. झारखंड का बिहारीकरण क्‍यों किया जाए? महिलाओं की इज्‍जत लूटकर भोजपुरी भाषा में गाली दी जाती है. आदिवासी और क्षेत्रीय भाषाओं के दम पर जंग लड़ी गई थी, भोजपुरी और मगही भाषा की बदौलत नहीं. झारखंड आंदोलन क्षेत्रीय भाषा के दम पर लड़ा गया था.’


उन्‍होंने कहा कि आदिवासियों ने झारखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई क्षेत्रीय भाषाओं के दम पर लड़ी है न कि भोजपुरी और हिंदी भाषा की बदौलत. वह किसी भी हालत में झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे.


उन्होंने यह भी कहा, ‘झारखंड आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों की छाती पर पैर रखकर, महिलाओं की इज्जत लूटते वक्त भोजपुरी भाषा में ही गाली दी जाती थी.’


समाज को बाटने वाली ऐसी तथ्यहीन बात करने वाली हेमंत सोरेन की सरकार को राजद और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है। अगर सच में इन पार्टियों के लिए बिहार प्राथमिकता में है तो बिहार का अपमान करने वाले ऐसे मुख्यमंत्री से जवाब तलब करना चाहिए और समर्थन वापस ले लेना चाहिए। हमारा अपमान लोग आसानी से इसी लिए कर लेते हैं, क्योंकि हम उसका उचित प्रतिक्रिया नहीं देते। 😠

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