निजीकरण
देश में जहाँ आज कल निजीकरण पर बहस चल रहा है तो मेरे साथ एक घटना हुयीं थी जिसका जिक्र मैं कर रहा हूँ
(2017-2018)
मै कल्याण स्थित FEDERAL BANK गया रहा सवा ग्यारह बजे गेट ओपन करते ही मिल गए एक भाई साहब.. मैंने पूछा अकाउंट ओपन करना है। वो बोले पैन कार्ड और आधार है ?? मैंने बोला हां है।
बोला ठीक है लाइये... देते ही बोला अंदर आइए।
एक मैडम के पास ले गयें और मैडम ने
बिठा के 10 मिनट न हुआ होगा कि सब धड़ धड़ मोबाइल में फीड कर दिया।
फिर पूछा कि आप के पास अपने घर के कागज़ है मतलब आप जहाँ भाङा पर रहते हैं।
मैंने बोला हाँ .. लेकिन ज़िरौक्स कौपी है घर का
ठीक है चलेगा
'इधर का काम सब हो गया ???'
'हाँ सर हो गया!
कुछे एक जगह साइन किया और एटीएम,पिन,पासबुक सब हाथ में।
मै बङा अचंभित सा था !
खैर मैं रूमवापिस अपने आ गया..
मने इस प्रोसेस में ऑटो ट्रेवलिंग टाइम भी पकड़े तो करीब ढाई घंटे में सब खलास।
वहीं एक जमाने में एसबीआई में अकाउंट खुलवा रहा था मैं... उसका वर्णन नहीं कर पाऊंगा मैं। वो अकाउंट भी डेड पड़ा हुआ है।
#संदीप_यदुवंशी
https://sk4635686.blogspot.com/?m=1
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