आज कल के बच्चो में नास्तिकता के कारण

 आजकल के युवकों की नास्तिकता का कारण मैं बता रहा हूँ ध्यान से सुनिये- एकाएक तो माँ के गर्भ से कोई युवक होकर या युवती होकर तो प्रकट नहीं होता...!


 आजकल के बच्चे हैं मोबाइल से खेलते हैं, टेलीविजन से खेलते हैं, कम्प्यूटर से खेलते हैं। वे जब कोई प्रश्न कर देते हैं माता-पिता को, तो प्राचीन ढंग के जो माता-पिता हैं वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाते।  पुरानी बात यह है कि 'तुम तो नास्तिक हो' कहकर, डाँटकर पिण्ड छुड़ा लेते थे।  हमने देखा है वृन्दावन आदि में जो महात्मा किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता था तो वे कहते थे - 'नास्तिक कहीं के, तुम अनधिकारी हो'। 

आजकल किसी को नास्तिक कह दें, अनधिकारी कह दें तो वह समझेगा कि इनको स्वयं को ही कुछ आता नहीं है।  आजकल मोबाइल आदि से खेलने वाले जो बच्चे हैं वे ही युवक होते हैं, उनके प्रश्नों का उत्तर दे पाना आधुनिक माता-पिता के लिए बड़ा कठिन है।


आधुनिक जो बच्चे हैं,  वे जो प्रश्न करते हैं उसके उत्तर के लिए क्या चाहिए? दर्शन, विज्ञान और व्यवहार में सामञ्जस्य साधने की आवश्यकता है। स्वयं ही बहुत तैयारी की आवश्यकता है। मैं संकेत करता हूँ- विद्यार्थी जीवन में... मैं अभी भी अपने को विद्यार्थी ही मानता हूँ… तो हम जब अपनी कक्षा में जाते थे, हमारे अध्यापक तैयारी करके आते थे कि कोई अगर प्रश्न पूछ देगा तो उत्तर क्या दूँगा। तो आजकल के जो कंप्यूटर मार्का, टेलीविजन मार्का, मोबाइल मार्का जो व्यक्ति हैं उनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए माता-पिता, गुरुओं को बहुत योग्य होने की, अपने ज्ञान का स्तर बढ़ाने की, परिश्रम करने की आवश्यकता है। 


- हिन्दूराष्ट्रसंघ की सङ्गोष्ठी में हुए पुरी शंकराचार्य जी के प्रवचन से लिया गया।

जय श्रीकृष्ण 🙏⛳

#संदीप_यदुवंशी 

https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

Comments

Popular posts from this blog

आख़िरी सफ़र

भोजपुरी सम्राट

क्षण