आख़िरी सफ़र

 आख़िरी सफ़र पर जाने से पहले

इतनी तो मोहलत मिलनी चाहिए जाने वाले को

कि वो कह सके अलविदा

और सुकून से रवाना हो सफर के लिए

इतनी तो रहमत मिलनी चाहिए पीछे रह जाने वालों को

कि वो खुद को दिलासा दे सकें-

जो चला गया वो नहीं लौटेगा

और मशगूल हो जाएं अपने रोज़गार में


बिना विदा लिए जाने वाले

यूँ तो नहीं लौटते कभी

मग़र सच ये है कि वे जाकर भी जाते नहीं 

वे रह जाते हैं

दरवाजे पर होने वाली आहटों में

रास्ते के उस मोड़ पर

जहाँ से वे जाते हुए पलटकर देखा करते थे

वे रह जाते हैं

दिलों की कसक में

कि काश! इतना सा वक्त मिल गया होता...।

स्नेहिल शुभ संध्या नमस्कार हरे कृष्ण🙏

https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

#संदीप_यदुवंशी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी सम्राट

क्षण