विरोध
विरोध
एक अजीब सी बात है
विरोध करना !
पक्ष और विपक्ष दोनों है
इस पर बहस चलता है।
तर्क और कुतर्क भी होता है
इन सब को करते समय चलता है।
पर फर्क उस व्यक्ति को पड़ता है
जो अपने रोजमर्रा की ज़िंदगी में
हारता है और हारता हुआ फिर से
अगली सुबह उस विरोध में रहता है।
कुछ यूँ ही मैं भी विरोध करता हूँ
पर अब किसी के छल विरोध से
खुद और खुद को विरोधी देखा।
ये समाज उनका है
जो मेरे विरोध को
अपने सम्मान और पहचान
के रूप में मुझे
मौत तक ले आई है।
विरोध करना भी अब विरोध है
सब खोकर कोई विरोध नही।
मुझे नही करना ये संघर्ष
इश्क़ है मुझे इस विरोध से
पर मैं भी अकेला पत्थर हूँ
और अब टूट चुका हूँ।
ना कोई विरोध है
और ना मैं विरोधी हूँ।🙏
#संदीप_यदुवंशी
https://sk4635686.blogspot.com/?m=1
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