पद्मश्री तुलसी गौड़ा 2021
पद्मश्री को सम्मानित करती
कर्नाटक की पर्यावरण कार्यकर्ता तुलसी गौड़ा,
जिनको वन विश्वकोष के नाम से भी जाना जाता है।
तुलसी का जन्म कर्नाटक के हलक्की जनजाति के एक परिवार में हुआ था। बचपन में उनके पिता चल बसे थे और उन्होंने छोटी उम्र से मां और बहनों के साथ काम करना शुरू कर दिया था। इसकी वजह से वे कभी स्कूल नहीं जा पाईं और पढ़ना-लिखना नहीं सीख पाईं। 11 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई पर उनके पति भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहे।
अपनी जिंदगी के दुख और अकेलेपन को दूर करने के लिए ही तुलसी ने पेड़-पौधों का ख्याल रखना शुरू किया। वनस्पति संरक्षण में उनकी दिलचस्पी बढ़ी और वे राज्य के वनीकरण योजना में कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हो गईं। साल 2006 में उन्हें वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिली और चौदह साल के कार्यकाल के बाद वे आज सेवानिवृत्त हैं। इस दौरान उन्होंने अनगिनत पेड़ लगाए हैं और जैविक विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
72 साल की तुलसी गिनकर नहीं बता सकती कि पूरी जिंदगी में उन्होंने कितने पेड़ लगाए। 40 हजार का अंदाजा लगाने वाली तुलसी ने करीब एक लाख से भी ज्यादा पेड़ लगाए हैं। अपनी पूरी जिंदगी पेड़ों को समर्पित करने वाली तुलसी को पेड़-पौधों की गजब की जानकारी है। जिसकी वजह से उन्हें जंगल का इनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है।
स्कूल में शिक्षित न होने के बावजूद वनों और पेड़-पौधों पर तुलसी का ज्ञान किसी पर्यावरणविद या वैज्ञानिक से कम नहीं है। उन्हें हर तरह के पौधों के फायदे के बारे में पता है। किस पौधे को कितना पानी देना है, किस तरह की मिट्टी में कौन-से पेड़-पौधे उगते हैं, यह सब उनकी उंगलियों पर है।
आज भी तुलसी पेड़ों को लगाने के काम में सक्रिय हैं। साथ ही वो बच्चों को सिखाती हैं कि पेड़ हमारे जीवन के लिए कितना जरूरी है। उनके बिना ये धरती रहने लायक नहीं रह जाएगी।
#संदीप_यदुवंशी
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