#बचपन

 लिखना न था पर लिख बैठा....

नायाब एक कहानी रच बैठा 

आरंभ और अंत में , दोनों में 

इक तेरे हीं नाम गढ़ बैठा ।।

 #बचपन 

बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता, दोस्त पर अब वो प्यार नहीं आता.

जब वो कहता था तो निकल पड़ते थे बिना घड़ी देखे, अब घड़ी में वो समय, वो वार नहीं आता.

बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...

वो साईकिल अब भी मुझे बहुत याद आती है, जिसपे मैं उसके पीछे बैठ कर खुश हो जाया करता था. अब कार में भी वो आराम नहीं आता...

जीवन की राहों में कुछ ऐसी उलझी है गुत्थियां, उसके घर के सामने से गुजर कर भी मिलना नहीं हो पाता...

वो 'मोगली' वो 'अंकल Scrooz', 'ये जो है जिंदगी' 'सुरभि' 'रंगोली' और 'चित्रहार' अब नहीं आता...

रामायण, महाभारत, चाणक्य का वो चाव अब नहीं आता, बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...

वो एक रुपये किराए की साईकिल लेके, दोस्तों के साथ गलियों में रेस लगाना.

अब हर वार 'सोमवार' है काम, ऑफिस, बॉस, घरवालें, जिम्मेदारीयाँ, बस ये जिंदगी है. दोस्त से दिल की बात का इज़हार नहीं हो पाता. बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...

बचपन वाला वो 'रविवार' अब नही आता...❤

स्नेहिल शुभ संध्या नमस्कार हरे कृष्ण 🙏

#रविवार 

#संदीप_यदुवंशी 

https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

Comments

Popular posts from this blog

आख़िरी सफ़र

भोजपुरी सम्राट

क्षण