युवा साथियों का समाजवाद

 समाजवादीयों का आज कल एक अलग तरह का सुख लेन देन का कार्यक्रम चल रहा है,भाई लोग 

इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यक्रम के स्थान पर AC न लगें होने के लिए भाजपा को दोष दे रहे हैं और किसी विकलांग व्यक्ति को (लगङा) जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। 

मुझे कभी कभी लगता है कि यह इनसान आस्ट्रेलिया पढने गया था या डिग्री चोरी कर के लाने गया था। 

अब बात करते हैं असली मुद्दे पर....

लखनऊ से लेकर बलिया तक आज कल समाजवादीयों के कार्यक्रम चल रहा है अंबिका चौधरी के घर वाससी का 

घर वाससी इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि यहीं अखिलेश यादव ने इनको एक बार लात मारकर पार्टी से निकल दिया था लेकिन राजनीति में आना और जाना कोई बङी बात नहीं है खैर ऐसे नेताओं के पार्टी के विचार धारा और पार्टी कोई माईने नहीं रहता है क्यों इनको अपने पद और रूतबे से मतलब रहता है। ऐसे ही नेताओं में आते हैं अंबिका चौधरी 

यही अंबिका चौधरी है जो कुछ दिनों पहले अपने लङके को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जितने के बाद चार छात्र नेताओ को पहचानने से इनकार कर दिया था बेचारे छात्र नेताओ ने इनके लङके को जितवाने के लिए दिन रात लङके के पीछे मेहनत किया 

छात्र नेता भी किसी के पहचान के मोहताज नहीं हैं जो भी व्यक्ति राजनीति में थोङा बहुत जानकारी रखता है उनको पहचानता हीं होगा ।

लेकिन अंबिका चौधरी ने जब देखा कि उनका लङका उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जी को गाली और नारे लगाने के लिए फंस रहा है तो चलाकी से मीडिया के सामने आ कर बोलने लगें कीं भाजपा के लोग हैं और हम पहचानते हीं नहीं है।

हद है नेताजी आप एक बार भी इन छात्र नेताओ के भविष्य को लेकर सोचें कि नहीं मुझे मालूम नहीं लेकिन आप ने अपने लङके के लिए इनको बली का बकरा बना दिया 

लेकिन उन छात्र नेताओ का क्या हुआ???

न तो किसी समाजवादी नेतायों ने उनकीं खोज खबर ली भुगतना पड़ रहा है तो उनके परिवार को ??

और उनके माता-पिता को ??

उनके के भविष्य को अंधकार में ढकेल कर नेता जी आज फिर समाजवादी हो गयें 

न पहचानने का इनलोगो का इतिहास पुराना है और जो इनलोगो के पीछे घुम रहे हैं उनके साथ भी यही होने वाला है भविष्य में 

अभी हाल कीं एक घटना का जिक्र कर रहा हूँ पूर्व विधायक बैरीयाँ और वर्तमान में शायद विधायक प्रतिनिधि हो सकतें हैं बैरीयाँ विधानसभा के 

पूर्व विधायक जी जब चुनाव में खङा हुये थें  तभी जो अभी प्रतिनिधि हो सकतें हैं उनको को लेकर रात दिन घुमे,प्रचार प्रसार किये लेकिन आज उनको लग रहा है कि टिकट शायद ना मिलेगा तो अचानक आ कर मीडिया के सामने बोलते हैं विधायक जी कीं हम पहचानते हीं नहीं है। तो विधायक जी जब लेकर घूम रहे थे तो गांजा के नसा किये थे या नींद में घुम रहे थे??

इसको लेकर कार्यकर्ताओं जो इन लोगो के  आगे पीछे घूमते हैं जिनको समाजवाद की परिभाषा पूछ दो तो गूगल करना चालु कर देंगे  90% तो ऐसे होंगे जिनको मालुम नहीं होगा समाजवाद हैं क्या??

और समाजवाद का "स" तक मालूम नहीं होंगा 

नेताजी के नज़र में अच्छा बनाने के लिए गाली गैलोज चालु कर दिये 

आपस में मातारी बहिन का इज्ज़त उतारना चालु कर दिये 

क्यों भाई माई और बहिन से पूछ कर विधायक जी के पीछे घुमने गयें थे क्या???

तुम लोग अपने नेतागीरी चमकाने के लिए अपने माई बहिन के इज्ज़त को क्यों बीच बाजार में ऊछाल रहे हो 

यह वही नेता लोग हैं जो समय आने पर तुम को पहचानने से इनकार कर देंगे 

पहचानने से याद आया एक बार समाजवादीयो का इतिहास गूगल कर देख लें ना लोहिया,अमर सिंह,जनेश्वर मिश्रा का परिवार किस हालात में है।

फिर तुम किस खेत के मुली हो बे 

नोट-यह पोस्ट किसी को धिटा कसी के मकसद से नहीं लिखा गया है यह पोस्ट हमारे समाज में कुछ युवा साथियों जो ग़लत रास्ते पर जा रहे हैं उनको मार्गदर्शन के लिए लिखा गया है। 

बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

#संदीप_यदुवंशी

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