देवी-देवताओं का अपमान

 कायरता हमारी नसों में घर बना चुकी है, हम धर्मनिरपेक्षता का चादर ओढ़ने के चक्कर में चुप चाप मुँह दर्शक बन कर रह जाते हैं और कोई भी उठ कर हमारे देवी देवताओं के साथ कुछ भी कर देता है और बोल देता हैं।

हिंदू आज मंदिर में बंधे घंटे की तरह बन गया है जिसे जो चाहे वह बजा कर चला जाता है सरकारे पुलिस कानून व्यवस्था सब खामोश रहती हैं


मध्यप्रदेश के महू में गणेश जी के हाथ मे सेनेटरी पेड़ रखने वाले Anivarya NGO के संस्थापक अंकित बागड़ी ने कहा कि गणेश चतुर्थी के माध्यम से ‘मासिक धर्म’ को लेकर जागरूकता फैलाई जाए... इसलिए इन्होने भगवान् के हाथों में सेनेटरी पैड थमा दिए और दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि को भी विराजित कर दिया... 


यह कैसी धार्मिक स्वतंत्रता है कि इस तरह से विकृत किया जा रहा है ? 

और तुम लोगों को कौन अधिकार दिया है हमारे भगवान के साथ ऐसा करने का ??


अगर अंकित बागड़ी को समाज को संदेश और ज्यादा सही से देना था तो अपनी माँ, बहन, पत्नी और बेटी को चौराहे पर सेनेटरी पैड के पहना कर खड़ा कर देता लोगो के स्मृति पटल पर हमेशा छपा रहता  । ये जागरूकता फैलाने का नहीं इसकी विकृत मानसिकता को दर्शा रहा है ।


अगर इसे सेनेटरी पैड के प्रति जागरूकता फैल आनी है तब यह गर्ल्स कॉलेज में जाकर वर्कशॉप आयोजित कर सकता था, रेड क्रॉस या फिर शहर के किसी गायनो हॉस्पिटल में जाकर वर्कशॉप आयोजित कर सकता है, महिला हॉस्टल में जाकर वर्कशॉप आयोजित करे गांव में आंगनवाड़ी आशा वर्कर के साथ मिलकर वर्कशॉप आयोजित करवाये


 लेकिन भगवान के हाथ में सेनेटरी पैड थमा देना यह जागरूकता फैलाना नहीं है बल्कि हिंदुओं की धैर्य  का परीक्षा लेना है।

#संदीप_यदुवंशी

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