एक टेढे स्वास्तिक की कहानी
हमारी संस्कृति का शुभ प्रतीक चिन्ह
#एक_टेढ़े_स्वास्तिक_की_कहानी
#हिटलर_का_सेनापति
....मेरी लिस्ट में मौजूद,.. एक "मित्र",.. ने एक जिज्ञासू (??) के तौर पर,.. एक बार मुझसे पूछा था.. कि,.. "अगर हिन्दू धर्म इतना विशाल था,.. कई हिन्दू राजाओं का अधिकार,.. पूरी पृथ्वी पर था,.. ऐसा ग्रंथों में बताया जाता है,..!! लेकिन भारत से बाहर,. कहीं इनके निशान नहीं हैं। क्या हिन्दू लोग,.. यही सिर्फ भारतीय उपप्रायदीप को ही पूरी पृथ्वी मान लेते थे??... असल बात ये है कि,.. ये सब हिन्दुओं के कोरे गप्प हैं।" (आज इनको भी ये पोस्ट पढनी चाहिए)
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....कल शाम मैं अपने मेन गेट पर, LED से बना हुआ स्वास्तिक लगाया,. और अन्दर आ गया। रात भर वो चमकता रहा और,.. आज सुबह ही एक "आपिये मित्र" आये और,.. कटाक्ष मारे,...."शुकुल जी, कट्टरता के बारे में सोचते सोचते,..अब आप हिटलर के ही फैन हो गए??" मुझे समझ ना आया,.. तो उन्होंने बाहर ले जा के दिखाया,.. स्वास्तिक की लाइट "45 deg" अपनी धुरी पर,.. घूम गई थी, और.. ....अब ये नाजी सेना के चिन्ह जैसी लग रही थी।
(वैसे,.. LED का स्वस्तिक भी अशुभ होता है, मैंने निकाल दिया)
..मुझे जोर का झटका लगा,. कि ..क्या हमारे सदियों पुराने स्वास्तिक की पहचान,.. सिर्फ हिटलर की वजह से है?? ....हम क्या पढ़ रहे हैं आज? ....अपनी विराट पुरातन सभ्यता को,.. हम क्यों कुछ वामियों के कुचक्र में फंस कर,.. उन्हें विस्मृत करते जा रहे हैं??
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....आइये समझने की कोशिश करते हैं स्वास्तिक के बारे में,...
......#स्वास्तिक ,.. एक संस्कृत शब्द है,.. जिसका अर्थ है ,... सु=सुन्दर, असती= है, अर्थात,... सुन्दर या शुभ या कल्याण कारी है.! अर्थात,.. स्वस्तिक शुभता और सुन्दरता का प्रतीक है.! ...भारतीय संस्कृति में ,मुख्यतः हिन्दू ,जैन ,बौध्ध संस्कृति में स्वस्तिक का बेहद प्रमुख स्थान है,... स्वस्तिक का चिन्ह हर एक मंदिर पर मिलता है,.. और हर शुभ कार्य के "पहले",.. या "पूजा के पहले",.. स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है,!! हमारी संस्कृति में,... संतान की उत्पत्ति के समय, मकान की नींव डलते वक़्त, यात्रा के आरम्भ में,. खेत में बीज डालते समय,.. या कोई भी ऐसा कार्य जो,. प्रारम्भ होने जा रहा हो,.. उस वक़्त स्वास्तिक मन्त्र बोले जाते हैं, और प्रतीक बनाया जाता है।
.....#स्वास्तिक_मंत्र या #स्वस्ति_मन्त्र,.. स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया 'स्वस्तिवाचन' कहलाती है।...
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
..ऋग्वेद की ऋचा में स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है,... और उसकी,.. चार भुजाओं को,.. चार दिशाओं की उपमा दी गई है। ...."सिद्धान्त सार ग्रन्थ".. में उसे ..विश्व ब्रह्माण्ड का प्रतीक चित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि,.. स्वास्तिक वैदिक आर्यों का प्रतीक चिन्ह है, जो प्राचीन काल से भारत में प्रचलित है,.!!
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अब जरा स्वास्तिक का इतिहास भी खंगाल लेते हैं,...
....#उक्रेन में एक शहर है,.. कीव,..! इस शहर की खुदाई में,... हाथीदांत पर नक्काशी किये हुए,.. स्वास्तिक चिन्ह प्राप्त हुए हैं,..!! ...कार्बन डेटिंग से पता चला कि,.. ये "१५०००" वर्ष पुराने हैं,.!! ..#दक्षिण_पूर्वी_यूरोप की,.. प्राचीन सभ्यताओं में ८०००-1०,००० वर्ष पुराने स्वस्तिक के चिन्ह प्राप्त हुए हैं,..!! ...#इंग्लैंड के,.. एवं #आयरलैंड के,... कई स्थानों पर प्राचीन गुफाओं में स्वास्तिक के चिन्ह मिले हैं,..!! #बुल्गारिया की,.. "देवेस्तेश्का गुफाओं" (#Devetashka_Cave) में,... 6000 वर्ष पुराने स्वास्तिक के चिन्ह प्राप्त हुए,.!!
....#यूरोप में,.. ईसा मसीह के जन्म से पहले,.. और,.. इसाई धर्म से भी पहले,... "ग्रीक एवं रोमन" साम्राज्यों में "स्वास्तिक" एक प्रमुख चिन्ह था.! जिसे कपड़ों से लेकर कीमती आभूषणों,.. पर बनाया जाता था.!... #जर्मनी में ईसा पूर्व 3००-४०० साल से,... एवं,.. #स्लोवाकिया और #इटली में,.. इसवी पूर्व ७०० वर्ष पहले के #इट्रस्केन_सभ्यता में स्वास्तिक के उपयोग के प्रमाण मिले है,! .. यूरोप के प्रायः,.. सभी देशों की,.. प्राचीन सभ्यताओं में स्वास्तिक के उपयोग के प्रमाण मिले हैं..!!
....#अमेरिका में,... यूरोप के लोगों के कदम पड़ने से पहले,.. वहां बेहद विकसित,... "#माया_सभ्यता",.. के लोग निवास करते थे.!! ..पुरातात्विक प्रमाणों से ये बात मानी जाने लगी है,... कि ... माया सभ्यता के लोग,... "हिन्दू रीति रिवाजों" का पालन करते थे.!,... अभी भी "मेक्सिको" के कबीलों में,.. #राम_सितवा (Situa-Raimi),.. उत्सव दशहरा में,.. मनाने की परंपरा है,!! ... उत्तरी अमेरिका,.. के "#कुना_कबीले",.. के लोगों के झंडे में "स्वास्तिक" प्रतीक चिन्ह है,.!!
,...एशिया में स्वास्तिक के प्रयोग के,... सबसे प्राचीन प्रमाण,.. #सिन्धु_घाटी की सभ्यता (५००० वर्ष) से प्राप्त हुए हैं..!! और,.. स्वस्तिक का प्रयोग चीन ,जापान से लेकर पूरे दक्षिण एशिया में शुभ चिन्ह के रूप में होता हैं,.!! आर्मेनिया एवं अन्य एशिया के देशों में प्राचीन स्वास्तिक के चिन्ह प्राप्त हुए हैं.!!.. ताजिकिस्तान का रास्ट्रीय चिन्ह स्वास्तिक है,.!!
..#कांस्य_युग के मिले अवशेषों में भी,.. स्वास्तिक प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल पाया गया है..!!
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.... लेकिन 1930 तक इसकी लोकप्रियता में,.. उस वक़्त एक ठहराव आ गया,.. जब जर्मनी की सत्ता में नाज़ियों का उदय हुआ,.!! इसके पीछे भी एक कहानी है.! ....19वीं सदी में कुछ जर्मन विद्वान,.. भारतीय साहित्य का अध्ययन कर रहे थे,.. तो उन्होंने पाया कि,.. जर्मन भाषा और संस्कृत में,.. कई समानताएँ हैं.! ...उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि,.. भारतीयों और जर्मन लोगों के पूर्वज एक ही रहे होंगे,.. और उन्होंने "देवताओं जैसे वीर",.. "आर्यन नस्ल" की परिकल्पना की.! .....इसे "यहूदी विरोधी" कुछ समूहों ने लपक लिया और,.. स्वास्तिक का "आर्यन प्रतीक" के तौर पर चलन शुरू हो गया...!!
....देखते ही देखते इसने नाज़ियों के लाल रंग वाले झंडे में जगह ले ली और 20वीं सदी के अंत तक इसे नफ़रत की नज़र से देखा जाने लगा.!! ..नाज़ियों द्वारा कराए गए यहूदियों के नरसंहार में बचे,.. 93 साल के फ़्रेडी नॉलर कहते हैं, .."यहूदी लोगों के लिए स्वास्तिक भय और दमन का प्रतीक बन गया था. "
....युद्ध ख़त्म होने के बाद जर्मनी में इस प्रतीक चिह्न पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और 2007 में जर्मनी ने यूरोप भर में इस पर प्रतिबंध लगवाने की नाकाम पहल की थी...!!
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....#हिटलर की 'नाजी सेना' में,.. जो सबसे ज्यादा 'साहसी और क्रूर' इंसान था,. उसका नाम था,.. "#हेनरिच_हेमलर",.!! ...हिटलर के बाद नम्बर दो की पोजीशन पर था ये।.. ..इसने संस्कृत का बहुत अच्छा अध्ययन किया था,.. और रोज.. हिन्दू ग्रंथों का पाठ करता था,... "गीता" तो हमेशा अपने पास ही रखता था। .. इसी हेमलर की वजह से,... हिटलर भी हिन्दू संस्कृति की ओर झुका,.... और उसने,.. स्वास्तिक को अपने झंडे में शामिल कर लिया,... #एक_टेढ़ा_स्वास्तिक,..!! ...और जब इतनी पवित्र चीज,.. इतनी कल्याणकारी चीज,.. अपनी थोड़ी सी भी दृष्टि,.. "टेढ़ी" कर ले,.. तो अंजाम क्या होता है,. ये पूरी दुनिया देख चुकी है,..!!
....और,.. हमारे #वामपंथ_के_रंगे_सियारों ने,.. हमारे #मार्क्सवादी_चिचा_नेहरु ने,.. उस वक़्त, (1945-1950).. दुनिया को,... इस "सीधे स्वास्तिक".. का असली मतलब, ...पवित्र और कल्याणकारी मतलब,... नहीं समझाया,!! ....बल्कि इस 'टेढ़े स्वास्तिक' के,.. टेढ़ेपन को ही,... इसकी पहचान बनने दी,!! ...और इस प्रकार,.. हमारी सभ्यता को मटियामेट करने की ओर,.. एक और कदम बढा दिया गया था।
(और कोई प्रमाण चाहिए?? कि हमारी सभ्यता कितनी पुरानी है,.. और कहाँ-कहाँ तक फैली थी??,.. Go to hell वामीज,..!!)
Note- चाहें तो share करें _/\_
"जय हिन्द..!!"
#जय_श्रीराम🙏⛳
#संदीप_यदुवंशी
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