#चन्द्रशेखरजी_और_जय_प्रकाश_नगर(सिताब दियरा)
उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा एक जिला बलिया और बलिया के अंतिम छोर पर बसा एक गाँव जो दोनों तरफ से नदियों से घिरा एक तरफ जहाँ गंगा और दुसरे तरह घाघरा नदी और वहीं पर बसता है एक गाँव जय प्रकाश नगर जो की सिताब दियरा के नाम से भी जाना जाता है यही पर जन्म हुआ था एक क्रान्तिकारी नेता कीं जो एक समय में दिल्ली के सत्ता को हीला दिया था नाम जय प्रकाश नारायण जी तभी से दुनिया के नजरों में गाँव कीं गिनती होंने लगीं और उनके शिष्य थें चन्द्रशेखर जी
चन्द्रशेखर जी का भी इस गाँव से बहुत ज्यादा लगाव रहता था लगाव के कारण ही चन्द्रशेखर जी ने इस गाँव कीं काया पलट दिया था नहीं तों एक समय यह गाँव बाढ़ के कारण तबीयत हो जाता था लेकिन उन्होंने इस समस्या को दूर कर दिया था बांध बनवाकर और भी बहुत से कार्य किये थे
और एक समय था जब इस गाँव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हो या लालकृष्ण आडवाणी या लालू लालू प्रसाद यादव,मुलायम सिंह यादव हो
इस देश कोई ऐसा नेता ना हो जो यहाँ आता नहीं था लेकिन आज एक समय ऐसा है जो यहाँ का विधायक हो या सांसद मुश्किल से ही कभी भी दिखायी देते हो
जय प्रकाश नारायण जी के नाम से एक ट्रस्ट भी चलता है सरकार से पैसे भी आते ही होंगे लेकिन विकास के नाम पर आप को गिरता घर बंद पङें कमरे और बंद पङें लाइब्रेरी और सफाई के नाम पर मकानों में निकलते पौधे
आज भी इस गाँव के लोगों कीं नज़रे अपने चहीते नेता को तलाशती हैं तलाशने कीं शायद यही कारण हो सकता है क्यों कि 90 के दशक में किसी को हेलिकॉप्टर देखना एक सपना पूरा होना जैसा लगता था उस सपने को पुरा किया था चन्द्रशेखर जी ने और किसी बङी हस्ती को देखना सपना जैसा था वह सब पुरा किया था चन्द्रशेखर जी ने उस समय मे इस गाँव कीं क्या रौनक़ होती थी भाई लोग मेला लगता था और हम उस समय उसी मेला दोस्तों के साथ घूमने जाते थें लेकिन आज का समय ऐसा है कि मेला तो दुर कीं बात हैं खंडहर जैसे घर और उन पे उगते पौधे हैं।
लेकिन उन नज़रों को कौन समझायें कि जो तुम्हें छोङ कर चला गया वह कभी नहीं आने वाला है।
राजनीति तों सभी करते हैं लेकिन हैं कुछ लोग जो दिलों में घर बना कर चले जाते हैं,उन्हीं में से थे चंद्रशेखर जी
राजनीति बातें मैं नहीं लिखूंगा क्यों इस समय मैं अपने मन के भावनायों को व्यक्त कर रहा हूँ।
लाॅकडाउन में इस गाँव में गया था जो कीं यहाँ पर मेरे मामा जी का घर पङता है और शुरूआत की पढ़ाई 4तक यही किया था चन्द्रशेखर जी के स्कूल आचार्य नरेन्द्र देव बाल विद्या मंदिर में और उस समय मैं काफी छोटा तभी एक बार मैं चन्द्रशेखर जी से मिला था जब जय प्रकाश नारायण जी कीं पुण्यतिथि थी मैं उनके चरण स्पर्श करने गया था तब उन्होंने मुझे धर लिया पीठ थपथपा ,यह बात मुझे आज तक याद है और शायद जब तक जीवित रहूँगा तब तक याद रहेगा
मामा के घर गये था तों एक मामा है वहीं चन्द्रशेखर जी के बातों को बाता कर बहुत भावुक हो गये
आज भी तलाश रही है वह नजरे अपने नेता को जो इस गाँव को अलग पहचान के लिए जीता था।
था एक बलिया का शेर जिससे देश के प्रधानमंत्री तक डरते थे,इंदिरा मिलने आया करती थी❤️
पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन एवं वंदन करता हूँ 🙏🙏🙏
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