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Showing posts from October, 2021

मिडिल क्लास लौडे का प्यार

 सफ़र में चलते चलते कुछ पुरानी यादों के साथ.....🚉 पूरा पढिए शायद पसंद ही आ जाए   मिडिल क्लास लड़के.... हम मिडिल क्लास लड़को को न सपने देखने का कोई हक ही नहीं है हम सिर्फ दूसरों के सपने पूरे करने पैदा होते हैं, पहला प्यार तो चलो किसी का सफल नहीं होता पर हम मिडिल क्लास वालों का तीसरा, चौथा पांचवा,.... चाहे बीसवा प्यार ही क्यों ना हो सफल नहीं हो सकता बड़ी मुश्किल से मुद्दतो में एक लड़की पसंद आई,20-22 की वो, 21 के हम,यादव  भी,मतलब साला जात पात का भी कोई झंझट नहीं, ना कोई हूर परी वो, और ना हम ही राजकुमार राव हमने कहा बढ़िया जोड़ी है एक सरकारी नौकरी में तो पापा भी हाँ बोल ही देंगे बड़ी मुश्किल से सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू की ... लेकिन नहीं कहानी तो अभी शुरू हुई है ब्रो तैयारी करते हुए चार दिन हुए ही थे कि पता चला लड़की के मामा कलेक्टर हैं, और वो भी कोई दूर के रिश्तेदार नहीं सगे मामा अबे मामा तुम तो कलेक्टर हो ना,तुम्हे तो पता होगा ना कलेक्टर बनने में कितनी मुश्किल आती है,और ये भी पता होगा कि सब कलेक्टर ना बन सके हैं तो काहे हमारी लव स्टोरी में शकुनि बन के आ गए बे कहां तो...

मरने से पहले एक दिन पहले 1घण्टा के लिए मरना चाहता हूँ

  मैं अपने मरने से थोड़ी देर पहले बस थोड़ी देर के लिए मरना चाहता हूं मैं चाहता हूं कि जब मैं मर जाऊं तो उसके 1 दिन पहले बस थोड़ी देर के लिए मर जाऊं ठीक वैसे ही जैसे की मैं 1 दिन बाद मरने वाला हूं, लेकिन 1 दिन बाद में ताउम्र के लिए सो जाऊंगा लेकिन ताउम्र सोने से पहले ठीक है 1 दिन पहले अपने लोगों को पहचानने के लिए मैं 1 घंटे के लिए मरना चाहता हूं। और आंखें मूंद कर देखना चाहता हूं कि कितने लोग हैं जो वाकई मेरे मरने से दुखी हैं। यह जो चंद रिश्तेदार है जो मेरी शादी के लिए इतने चिंतित हो रहे हैं, कि शादी ना करने के वजह से उनके सर के बाल झड़ना शुरू हो गए यह जो कुछ मेरे पड़ोसी हैं वह मेरी सेकंड हैंड साइकिल को देखकर इतने परेशान हो जाते हैं और कहते है कि भाई इस साइकिल को रखे रखे क्यों खराब कर रहा है बेच दे,कुछ पैसे आ जाएंगे, वह सब जो मेरा इतना भला सोचते हैं क्या वाकई में वह मेरे मरने के बाद रोएंगे। मैं देखना चाहता हूं की यह जो चंद मेरे दोस्त हैं जो मेरे साथ कभी जीने मरने की कसमें खाया करते थे आज पके हुए बाल निकले पेट के साथ पता नहीं किस राज्य के किस शहर में नौकरी कर रहे हैं अगर उन्हें पता चल...

#बचपन

 लिखना न था पर लिख बैठा.... नायाब एक कहानी रच बैठा  आरंभ और अंत में , दोनों में  इक तेरे हीं नाम गढ़ बैठा ।।  #बचपन  बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता, दोस्त पर अब वो प्यार नहीं आता. जब वो कहता था तो निकल पड़ते थे बिना घड़ी देखे, अब घड़ी में वो समय, वो वार नहीं आता. बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता... वो साईकिल अब भी मुझे बहुत याद आती है, जिसपे मैं उसके पीछे बैठ कर खुश हो जाया करता था. अब कार में भी वो आराम नहीं आता... जीवन की राहों में कुछ ऐसी उलझी है गुत्थियां, उसके घर के सामने से गुजर कर भी मिलना नहीं हो पाता... वो 'मोगली' वो 'अंकल Scrooz', 'ये जो है जिंदगी' 'सुरभि' 'रंगोली' और 'चित्रहार' अब नहीं आता... रामायण, महाभारत, चाणक्य का वो चाव अब नहीं आता, बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता... वो एक रुपये किराए की साईकिल लेके, दोस्तों के साथ गलियों में रेस लगाना. अब हर वार 'सोमवार' है काम, ऑफिस, बॉस, घरवालें, जिम्मेदारीयाँ, बस ये जिंदगी है. दोस्त से दिल की बात का इज़हार नहीं हो पाता. बचपन वाला वो 'रविवार' अ...

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा

 बहुत जल्द...🙏⛳❤ छठ पूजा का प्रारंभ कब से हुआ सूर्य की आराधना कब से प्रारंभ हुई इसके बारे में पौराणिक कथाओं में बताया गया है।   छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा विधि विधान से की जाती है। छठ पूजा का प्रारंभ कब से हुआ, सूर्य की आराधना कब से प्रारंभ हुई, इसके बारे में पौराणिक कथाओं में बताया गया है। सतयुग में भगवान श्रीराम, द्वापर में दानवीर कर्ण और पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने सूर्य की उपासना की थी। छठी मैया की पूजा से जुड़ी एक क​था राजा प्रियवंद की है, जिन्होंने सबसे पहले छठी मैया की पूजा की थी। आइए जानते हैं कि सूर्य उपासना और छठ पूजा का इतिहास और कथाएं क्या हैं।   1)राजा प्रियवंद ने पुत्र के प्राण रक्षा के लिए की थी छठ पूजा   एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवंद नि:संतान थे, उनको इसकी पीड़ा थी। उन्होंने महर्षि कश्यप से इसके बारे में बात की। तब महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियवंद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई। यज्ञ के खीर के सेवन से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्...

अगर मैं ना होता तो क्या होता

👉अगर मैं न होती ,तो क्या होता💐 पूरा पढ़िए “अशोक वाटिका" में जिस समय रावण क्रोध में भरकर, तलवार लेकर, सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा, तब हनुमान जी को लगा, कि इसकी तलवार छीन कर, इसका सर काट लेना चाहिये! किन्तु, अगले ही क्षण, उन्हों ने देखा "मंदोदरी" ने रावण का हाथ पकड़ लिया ! यह देखकर वे गदगद हो गये! वे सोचने लगे, यदि मैं आगे बड़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि  🎶यदि मै न होता, तो सीता जी को कौन बचाता?🎶 बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है, मैं न होता, तो क्या होता ?  परन्तु ये क्या हुआ? सीताजी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया! तब हनुमान जी समझ गये, कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं! आगे चलकर जब "त्रिजटा" ने कहा कि "लंका में बंदर आया हुआ है, और वह लंका जलायेगा!" तो हनुमान जी बड़ी चिंता मे पड़ गये, कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नहीं है और त्रिजटा कह रही है कि उन्होंने स्वप्न में देखा है, एक वानर ने लंका जलाई है! अब उन्हें क्या करना चाहिए?  🌷जो प्रभु इच्छा!🌷 जब रावण के सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी क...

यह छठ क्यों जरूरी है।

 बहुत जल्द...🙏⛳❤ !! ये छठ जरूरी है !! ..... धर्म के लिए नहीं ,अपितु.... * ये छठ जरूरी है * हम सभी के लिए जो अपनी जङो से कट रहें है  उन बेटों के लिए जिनको घर आने का ये बहाना है । * ये छठ जरूरी है * उस माँ के लिए जिन्हे अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते है । उस परिवार के लिए जो टुकङो में बंट गया है । * ये छठ जरूरी है* उस नई पौध के लिए जिन्हे नहीं पता की दो कमरों से बङा भी घर होता है । उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है। #छठ_पूजा_2021🙏⛳   🙏जय छठीं मईया⛳🙏❤ #संदीप_यदुवंशी https://sk4635686.blogspot.com/?m=1

छठ पूजा

 बहुत जल्द आ रहल बा लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा.....🙏⛳❤ हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है-  पहली बार चैती छठ और दूसरी बार कार्तिकी छठ। चैती छठ पूजा चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है और वहीं कार्तिकी छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस पूजा में छठ माता की अराधना और सूर्य को अर्घ देने का विशेष महत्व है। बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों के साथ इसे नेपाल, मॉरीशस एवं अन्य देशों में भी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। छठ चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान कर के खाना बनाया जाता है। इस दिन चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन किया जाता है। नहाय-खाय के बाद खाने में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है। दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। खरना के दिन व्रत करने वाले लोग प्रसाद बनाते हैं। खरना के प्रसाद में खीर बनाई जाती है। इस खीर में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग किया जाता है। शाम को पूजा के बाद इस प्रसाद को ग्रहण करते...