Posts

Showing posts from July, 2021

हाई स्कूल का रिजल्ट

 हाई स्कूल का रिजल्ट तो हमारे जमाने मे ही आता था... रिजल्ट तो हमारे जमाने मे आते थे, जब पूरे बोर्ड का रिजल्ट 17 ℅ हो, और उसमें भी आप ने वैतरणी तर ली हो  (डिवीजन मायने नहीं, परसेंटेज कौन पूछे) तो पूरे कुनबे का सीना चौड़ा हो जाता था।  दसवीं का बोर्ड...बचपन से ही इसके नाम से ऐसा डराया जाता था कि आधे तो वहां पहुंचने तक ही पढ़ाई से सन्यास ले लेते थे।  जो हिम्मत करके पहुंचते ,उनकी हिम्मत गुरुजन और परिजन पूरे साल ये कहकर बढ़ाते,"अब पता चलेगा बेटा, कितने होशियार हो, नवीं तक तो गधे भी पास हो जाते हैं" !! रही-सही कसर हाईस्कूल में पंच वर्षीय योजना बना चुके साथी पूरी कर देते..." भाई, खाली पढ़ने से कुछ नहीं होगा, इसे पास करना हर किसी के लक में नहीं होता, हमें ही देख लो...  और फिर , जब रिजल्ट का दिन आता। ऑनलाइन का जमाना तो था नहीं,सो एक दिन पहले ही शहर के दो- तीन हीरो (ये अक्सर दो पंच वर्षीय योजना वाले होते थे) अपनी हीरो स्प्लेंडर या यामहा में शहर चले जाते। फिर आधी रात को आवाज सुनाई देती..."रिजल्ट-रिजल्ट" पूरा का पूरा मुहल्ला उन पर टूट पड़ता। रिजल्ट वाले #अखबार को कमर में खोंसकर ...

बचपन का प्यार 💞❤

 सोशल मीडिया पर इन दिनों तेरी से वायरस हुया विडियों  "बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रें" यह देखकर हमारा भी बचपन का प्यार याद आ गया..... हमारा पहिला प्यार......💞❤💞 नया-नया जवान हो रहे थे हम..! ई ऊ उमर है जिसमें लौंडा बाप-माई का कम, कुमार शानू और उदित नारायण को ज्यादा सुनता है..! हमारा फेवरेट हीरो भी शनि देवल और मिथुन चक्रवर्ती से ऋषि कपूर और शाहरुख खान हो रहा था.. राहुल राय का आशिकी इतना बार देख डाले, जितना बार ऊ खुद्दो नहीं देखा होगा.. उसी टेम्पू में बैठना शुरू कर दिए थे जिसमें "जीता था जिसके लिए" बजता था.. कापी के पहिला पन्ना पर "जय माँ सरस्वती" के बदले अब "प्यार ही पूजा है" लिखने लग गए थे! ऊ का है कि अब हम जवान हो रहे थे.. इमें नया कोनो बात नहीं है! सब एक-ना-एक दिन जवान होता है लेकिन इस बार चूंकि हम जवान हो रहे थे, इसलिए मौका इस्पेशल था.. अब हमको आर्चार नरेन्द्र देव  बाल विद्या मंदिर के विद्यार्थी पर हँसी आता था, वहां भईया/बहन चलता था..! बताइए ई कोनो बात हुआ भला.? उनका छोड़िए, हमरा सुनिए..!! हमको अब प्यार होने लगा था, सच्चा वाला..! माँ कसम ...

गाँवो का बदलता विकाश

 इस बार मैं गाँव गया तों वहाँ पर बहुत सी चीजों का बदलाव देखकर बहुत गुस्सा आया..... संस्कार और अपने से बङो का सम्मान करना बच्चें भुल गये हैं  और हमलोगों जब इस उम्र में थे तों हमलोगों का रहन सहन कैसा होता था.... बात बहुत पुरानी नहीं है. गांवों तक सड़कें नहीं पहुंची थी.  हाट-बाजार की रंगीनियां कम थीं. बत्ती के नाम पर बस लालटेन-डिबिया का सहारा हुआ करता था. उस गांव में शाम होते ही बैठ जाते थे नौनिहाल लालटेन के इर्दगिर्द. पैर-हाथ धोकर पढ़ने बैठ जाना अच्छे संस्कारों में गिना जाता था. दादाजी भूंजा फांकते बच्चों को पढ़ते देख निहाल हुए जाते थे. बीच-बीच में ऊँघने वाले को डांट भी पड़ जाती. कोई हिंदी किताब पलटाए एक था राजा-एक थी रानी कविता पढ़े जा रहा है तो कोई बीसों बार ई फ़ॉर एलीफैंट, एलीफैंट माने हाथी रट रहा है. बीच-बीच में बच्चे ओसारे पर खाना बना रही माई पर भी चुपके से नज़र डालते ही कि बाबूजी झिड़क देते - एक घण्टा लगेगा अभी बनने में, चुपचाप बैठ के पढ़ो सब. 9 बजे से पहले कोई हिला तो खाना नहीं मिलेगा. डाँट पड़ते ही 'एक था राजा-एक थी रानी' वाला 'दोनों मर गए-ख़त्म कहानी' वाली लाइन पर आ जाता औ...

मिडल क्लास कें लौडे कीं जिंदगी

मिडल क्लास लङके बेचारे...... साला पढ़ना कुछ और चाहते है पढ़ाया कुछ और जाता है,बनना कुछ और चाहतें है और हालात कुछ और ही बना देता हैं।  पंसद किसी और को करते हैं,और प्यार किसी और का मिलता है शादी किसी और से करवा दी जाती हैं चाय बना लेते है,पैसा रहे या न रहें दोस्त के लिए कर्ज लेने और देने में ज़रा सी भी देरी नहीं करते है। घर पर कोई रिश्तेदार आ गया तों घुमाने कीं जिम्मेदारी भी यही निभाते हैं। 4जी फोन लेने में साल लग जातें हैं और वह भी किस्सों में लेते हैं, गैस भरवाने कीं जिम्मेदारी,सुबह दुध और शाम को सब्जी लाने और गेहूँ पीसवाने जैसे दर्दनाक काम भी यही करते हैं और इसी काम से कुछ पैसे बचा लेते हैं जिसे इनका ख़र्चा निकल जाता है।   साला खुद की प्रेमिका की शादी में नागिन डाँस करने करने का गौरव केवल इन्हें हीं प्राप्त हैं, आइसक्रीम की टेस्ट से इन्हें शादी में हुए खर्चों का अंदाजा लग जाता है ! साला लुसेंट इनकी जिंदगी में उस गर्लफ्रेंड की तरह होती है बे जो साथ तो रहती है लेकिन समझ कभी नही आती ! रीजनिंग के प्रश्न चुटकी में हल कर देने वाले ये मिडल क्लास लौंडे साला खुद की जिंदगी की समस्...

#बिहार में बाढ़ के लिए कौन जिम्मेदार

 कहाँ जाता है कि जब सत्ता लोगों को गुमराह करती हैं तो मिडिया लोगों को न सिर्फ जागरूप भी करतीं हैं बल्कि आवाज़ भी बनती है मगर बिहार में बाढ़ आना और उसके कारण जान जाना इतना सामान्य सी घटना हो गया है कि देश के मीडिया चैनलो कीं खबर ही नहीं बनती है,वैसे आज मुम्बई,केरला,चेन्नई, कश्मीर,पश्चिम बंगाल या कोई और राज्य में पानी भी लग जाए तो टीवी चैनलों का स्टूडियो पानी में तैरना लगता है,और सरकार लोगों के रेस्क्यू में सेना उतार देती है और कुछ तथाकथित लोग यहाँ पर लाखों और करोड़ों रुपये दान कर देते हैं,बात बिहार राज्य के बाढ़ कीं होंगी तों इन लोगो कीं आत्मा मर जातीं हैं।  बिहार के मुख्यमंत्री जी से पूछा तो बोल देते हैं प्रकृति आपदा हैं कुछ नहीं कर सकते हैं। खैर बिहार के लोगों को अब आदत हो चुकी है बाढ़ के साथ जीवन यापन करने की और सरकार मदद के नाम पर कुछ बाँट कर अपने आप को सबसे बङा मसीहा बनने कीं दिखावा करतीं हैं। लेकिन बिहार में बाढ़ के मुख्य कारण क्या है मेरे हिसाब से शायद यही कारण है।   बिहार के करीब 74 फीसदी इलाके और 76 फीसदी आबादी बाढ़ की जद में हमेशा रहती है.  तबाही का प्र...

महिला कोई भी हो उसका सम्मान होना चाहिए

 अभी कुछ दिनों पहले राजस्थान में एक महिला के साथ जो हुआ पुरा देश जानता है लेकिन महिला सम्मान के बङे बङे बात करने वालों के मुँह में दही जम गया था। आज वह लोग महिलाओं के सम्मान कीं बात कर रहे हैं जो कभी गेस्ट हाउस कांड जो इतिहास के पन्नों में दर्ज में ,लङको से गलती हो जाती हैं महिलाओं के पैंट के रंग देखने वाले हद तों तब हो जाती हैं जब अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पत्नी का सम्मान नहीं कर पाते हैं  और अनगिनत कांड है इनके द्वारा बलिया में कुछ दिनों पहले ही यहीं लोग किसी के बहन बेटीयो को बहुत अच्छी तरह से सम्मान दे रहे थें,  मुझे अच्छी तरह से याद 2016 में सपा की सरकार थी यही चुनाव था मैनपुरी जिले में सपा के मंत्री ने एक लड़की को दौड़ा कर पीटा बेचारी लड़की खून से लथपथ सड़क पर भागती रही किसी से मदद नहीं की ना किसी से आवाज उठाई उस वक्त कहा था ये सम्मान की बात करने वाले करे। लखीमपुर खीरी में जो कुछ भी हुआ गलत हुआ नहीं होना चाहिए था लेकिन योगी जी ने पुरा थाना को सस्पेंड कर दिया और दोषियों पर  सख्त करवायी का निर्दश दिया। यही होता है सच्चे राजा का कर्तव्य 🙏 #संदीप_यदुवंशी 

#सुहेलदेव_महाराज

 हमारे देश पर ऐसे ही नहीं मुगलों और अंग्रेजों ने शासन किया था राजभर जैसे लोगों के वज़ह से ही गुलाम हुया था भारत  राजभर वह नेता हैं जो महाराज सुहेलदेव के नाम से पर राजनीति करते हैं राजनीति भी इसलिए करते हैं क्योंकि यह भी राजभर जातीं से आते हैं इसलिए  पार्टी का नाम भी उन्ही के नाम पर रख लिया है खैर यह अपने जातीं के लोगों का विकास करें या न करें लेकिन अपना विकास जरूर कर लिया खुद तों जातीं के नाम पर विधायक बनकर मंत्री बन गयें और अपने लङके का भी विकास कर दिया और खुद को अपने बिरादरी के  सबसे बङे मसीहा साबित करने के दिखावा करते हैं खैर राजनीति तो सब पार्टी करतीं हैं जातीं कीं और दिखावा भी करतीं हैं उनका मसीहा बनने को   पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर जातीं के लोग पायें जातें हैं यें लोग़ मछली पालन और खेती बाड़ी से जुड़े लोग होते हैं। यें लोग़ महाराज सुहेलदेव को भगवान कीं तरह पूजते हैं और मानते भी है अब सुहेलदेव महाराज कौन थे उनका इतिहास क्या था मैं आप सब को उनके बारे में विस्तार पूर्वक बताता हूँ  इस्लामिक आक्रान्ता सालार मसूद को बहराइच (उत्तर प्रदेश) में उसकी...

#चन्द्रशेखरजी_और_जय_प्रकाश_नगर(सिताब दियरा)

 उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा एक जिला बलिया और बलिया के अंतिम छोर पर बसा एक गाँव जो दोनों तरफ से नदियों से घिरा एक तरफ जहाँ गंगा और दुसरे तरह घाघरा नदी और वहीं पर बसता है एक गाँव जय प्रकाश नगर जो की सिताब दियरा के नाम से भी जाना जाता है यही पर जन्म हुआ था एक क्रान्तिकारी नेता कीं जो एक समय में दिल्ली के सत्ता को हीला दिया था नाम जय प्रकाश नारायण जी तभी से दुनिया के नजरों में गाँव कीं गिनती होंने लगीं और उनके शिष्य थें चन्द्रशेखर जी  चन्द्रशेखर जी का भी इस गाँव से बहुत ज्यादा लगाव रहता था लगाव के कारण ही चन्द्रशेखर जी ने इस गाँव कीं काया पलट दिया था नहीं तों एक समय यह गाँव बाढ़ के कारण तबीयत हो जाता था लेकिन उन्होंने इस समस्या को दूर कर दिया था बांध बनवाकर और भी बहुत से कार्य किये थे  और एक समय था जब इस गाँव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हो या लालकृष्ण आडवाणी या लालू लालू प्रसाद यादव,मुलायम सिंह यादव हो इस देश कोई ऐसा नेता ना हो जो यहाँ आता नहीं था लेकिन आज एक समय ऐसा है जो यहाँ का विधायक हो या सांसद मुश्किल से ही कभी भी दिखायी देते हो    जय प्रका...